हरियाणा के लोक गीत, रागनी, सांग और किस्से कहानियां,कला-संस्कृति अपणे अनोखे अन्दाज़ और माट्टी की सुगंध के लिए सदैव लोकप्रिय रहे सै। आज के बदलते और इस डिजिटल होते युग नै देश-प्रदेश की सारी सीमा मिटादी और दुनिया की सारी संस्कृतियों को एक दूसरे कै करीब ल्या दिया सै। हरियाणा का यो ही गीत-संगीत इंटरनेट पै भी हरियाणवी संगीत प्रेमियों के खातर भरपूरता तै उपलब्ध सै। इसै गीत-संगीत और रागनियाँ नै आपकी मदद तै दुनिया के कोणे-कोणे तक पहुचावण की कोशिश मै हाम ले कै आये सै--रेडियो धाकड़।

धाकड़ हरियाणा, धाकड़ लोग,धाकड़ बोली, धाकड़ रेडियो

थारी सेवा में, 24X7-बिलकुल फ्री

म्हारे बारे मैं -​

पहले रेडियो पै रागनी सुणन का बहोत चाव था। पुरे दिन बाट देख्या करते की कब साँझ होगी और कब रागनियां का प्रोग्राम आवेगा। धीरे-धीरे टेम इसा बदल्या की बेरा ए नहीं पाटया। टेम के साथ साथ जिम्मेदारिया का बोझ भी बढ़ता गया और सारे शौक धरे के धरे रहगे। आर इब ना वे रेडियो रहे और ना वो बात। पर रागनी सुणन का चाव इब भी दिल में किते न किते घर करें बैठ्या था। इस्से जूनून ने अंगड़ाई मारी और इसका नतीजा रेडियो धाकड़ आपके सामने है।
रेडियो धाकड़ के माधयम तै हम एक इसा मंच बणाण कै खातर प्रयासरत सां जिसतै संस्कृति संरक्षण कै साथ-साथ सूचना, मनोरंजन, हरियाणवी कला ओर संगीत नै भी बढ़ावा मिल सकै। जिस तरियां संस्कृति की कोई निश्चित सीमा नहीं होती उस्से तरियां अपणे इस रेडियो धाकड़ के कार्यकर्मां का भी कोई अंत नहीं सै। इन कार्यकर्मा मैं रागनी ही नहीं ,रागनियां के साथ-साथ आल्हा, सांग,नाटक, झलकी और चुटकुले भी सैं।

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दोस्तों! इबै एप्प टेस्टिंग फेज मैं सै, तो एप्पल स्टोर पै नहीं आयी सै। पर आप सब खातर नीचै डाउनलोड का लिंक दे रख्या सै. आप गूगल प्ले स्टोर तै एंड्राइड एप्प डाउनलोड कर कै अपना पसंदीदा रेडियो "रेडियो धाकड़" सुन सको सो।