वीर हकीकत राय (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा वीर हकीकत राय बात उस समय की है जब भारत पर मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वितीय राज किया करते थे। उस समय पंजाब के स्यालकोट में सेठ भागमल अपनी पत्नी कौरां व इकलौते बेटे हकीकत के साथ रहते थे। हकीकत की शादी बचपन में ही लक्ष्मी नाम की लड़की के साथ कर दी थी। हकीकत मदरसे मे पढने के लिये भेजा जाता है। हकीकत बड़ा होनहार था। काजी साहब मुंशी जी जो भी सबक पढाते वो तुरंत ही याद कर […]

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रूप-बसंत (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा रूप-बसंत खडगपुरी में राजा खडग सेन राज किया करते। उनकी रानी रूपमती थी और उनके दो लड़के थे बड़ा रूप और छोटा बसंत। कुछ समय बाद रानी बीमार हो जाती है। एक दिन चारपाई पर लेटे हुए रानी की नजर छत की तरफ पड़ती है , जहाँ एक चिड़िया का घोंसला बना हुआ था। उस चिड़िया और चिडे के भी दो बच्चे थे। चिड़िया किसी कारण वश मर जाती है। रानी हर रोज उसी घोंसले की तरफ देखती रहती

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पद्मावत (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा पद्मावत एक समय की बात है कि रत्नपुरी नगर में राजा जसवंत सिंह राज करते थे। राजा का एक ही पुत्र था जिसका नाम रणबीर सैन था। उसी नगर में सूरजमल नाम का एक सेठ भी रहता था जिसका लड़का था चन्द्र दत्त। रणबीर सैन और चन्द्रदत्त दोनों जिगरी दोस्त थे। एक दिन दोनों जंगल में शिकार खेलने चल पड़ते हैं। वे दानों अलग-अलग मृगों का पीछा करते हुए दोनों साथी वन में बिछड़ जाते हैं। राजकुमार एक सुन्दर

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राजा हरिश्चन्द्र (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा राजा हरिश्चन्द्र एक समय की बात है कि अवधपुरी में त्रिशंकू के पुत्र राजा हरिश्चन्द्र राज करते थे। उनकी रानी का नाम मदनावत था तथा उनके पुत्र का नाम रोहताश था। राजा बड़े सत्यवादी और धर्मात्मा थे एक दिन स्वर्ग में इन्द्र की सभा में सभी देवता उनके गुणों की प्रशंसा कर रहे थे जिसे सुन कर विश्वामित्र ने कहा कि मैं उनकी परीक्षा लूंगा कि राजा हरिश्चन्द्र कितने बड़े सत्यवादी और दानी हैं। विश्वामित्र ने ब्राहमण का वेश

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काला चाँद (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा काला चाँद एक समय बंगाल रियासत में सुलेमान कर्रानी शासन करता था। उसके राज्य में नयन चंद नाम का एक जमींदार रहता था। शादी के काफी समय बाद उसके घर एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम कालीचरण रखा गया। उस समय का वर्णन- बंगाल देश के शाही जिले मै, बीजनौर एक नाम्मी गाम। जमींदार नयन चंद राय का ,गाम मै था खासा काम।। किसे बात का नहीं था धड़का, बिन संतान लाग रहया अड़का, घर जमींदार कै होया एक

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अजीत सिंह-राजबाला (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा अजीत सिंह-राजबाला एक समय की बात है की अमरकोट में राजा अनार सिंह राज किया करते थे। उनकी रानी का नाम विजयवंती था और इनके लडके का नाम अजीत सिंह था। सभी खुशहाल थे। बेसलपुर के राजा ने अपनी लड़की राजबाला की सगाई अजीत सिंह से कर दी थी। राजा अनार सिंह अपने पड़ोसी धारा नगरी के राजा राम सिंह पर उसका खजाना लूटने के लिए आक्रमण कर देता है और मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। रानी विजयवंती

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जगदेव-बीरमति (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा जगदेव-बीरमति एक समय की बात है की मालवा देश में राजा उदयदत राज किया करते थे जिनकी राजधानी धारा नगरी थी। उनकी दो रानियाँ थी, बड़ी राणी सोलंकनी से जगदेव तथा छोटी राणी वाघेलनी से रणधूल का जन्म हुआ। जगदेव का विवाह पडोसी राज्य टोंकाटोंक (टोड) नरेश टोडरमल की राजकुमारी बीरमती से हो चुका था परन्तु अभी तक गौणा संपन्न नहीं हुआ था। सारे राज्य में खुशहाली थी। राजा जगदेव को अपना उतराधिकारी घोषित करना चाहते थे परन्तु छोटी

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चापसिंह-सोमवती (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा चापसिंह-सोमवती दिल्ली में मुगल बादशाह शाहजहां राज किया करते थे। उनके भूतपूर्व दरबारी ठाकुर अंगध्वज का लड़का चाप सिंह मुगल सेना में सिपहसालार के पद पर भर्ती हो गया। समय गुजरता गया कुछ ही अर्सा में राजपूत चाप सिंह अपनी कर्त्तव्यपरायणता तथा शूरवीरता के कारण मुगल दरबार में चर्चित हो गया। दूसरा सिपहसालार शेरखान जो बादशाह शाहजहां का साला था अन्दर ही अन्दर चाप सिंह से जलने लगा। वह किसी ऐसे मौके की तलाश में रहता था जब चाप

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सत्यवान-सावित् (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा सत्यवान-सावित्री राजा अश्वपति के घर कोई संतान नहीं थी। राजा देवी की खूब पूजा करता है। एक दिन देवी उसके सामने प्रकट हो जाती है ओर कहती की राजन मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं मांगो क्या मांगते हो। इस पर राजा अश्वपति देवी के सामने संतान की इच्छा प्रकट करते है। तो देवी खुश होकर वरदान के रूप में एक कन्या (सावित्री ) उनको दे देती है। जब वह कन्या जवान हों जाती है तो राजा को उसकी

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सरवर-नीर (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा सरवर-नीर अमृतसर में राजा अम्ब राज किया करते थे। उनकी रानी का नाम अम्बली तथा दो पुत्रों के नाम सरवर और नीर थे। राजा अत्यन्त सत्यवादी और धर्मात्मा पुरुष थे। उनकी परीक्षा लेने के लिए एक दिन स्वयं भगवान साधु का वेश धारण कर राजा अम्ब के दरबार में अलख जगाते हैं- राजा के दरबार मैं भूखा खड़या सै फकीर भिक्षा घाल दे मेरै। टेक दुःख की घड़ी बीत रही आज मेरे दुख का करो ईलाज मोहताज फिरुं सूं

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