lakhmichand ki ragni likhit me

राजा भोज (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा राजा भोज-शरण दे एक समय की बात है कि उज्जैन शहर में राजा भोज राज्य करते थे। वे बड़े धर्मात्मा और प्रतापी राजा थे। उन्हें रात-दिन अपनी प्रजा के दुख सुख का ध्यान रहता था। अपनी प्रजा का हालचाल जानने के लिए वे खुद गश्त पर जाया करते और लोगों से उनके दुख दर्द पूछकर उनको दूर किया करते थे। एक रात वे अपने साथी मनवा भाण्ड के साथ गश्त पर गये तो उन्हें कुछ शोर-सा सुनाई दिया।उन्होंने मनवा […]

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मीरा बाई (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा मीरा बाई जोधपुर रियासत में राजा मिड़त हुए हैं। उनकी एक लड़की मीरा थी। बचपन से ही उसका भक्ति में रुख था। छोटी उम्र में ही एक शादी की बारात देखकर अपनी मां से पूछती है कि मेरे पति कौन हैं। मां ने बताया कि तेरे पति कृष्ण हैं । बस क्या था, कृष्ण को दूध पिलाना कीर्तन करना, सेवा में लगे रहना, मीरा का काम हो गया। फलस्वरुप सांसारिक पदार्थों से मोह भंग हो गया। कवि ने वर्णन

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भूप पुरंजन (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा भूप पुरंजन यह साधारण सांग या कहानी नहीं हैं। श्रीमद्भागवत में पुरंजनों के बारे में व्याख्यान पर आधारित ये सांग विषय की जटिलता और पौराणिक संदर्भों की वजह से आम लोगों को समझ नहीं आ सका अतः इस सांग को छोड़ना पड़ा। रागनी-1 पूर्व देश तै तपस्वी पुरंजन आया, शुभ कर्म करण नै मिली मनुष की काया ।।टेक।। तब हुक्म मिल्या जा पच्छम देश मैं फिरया, नौ निधि बहैं विधि पारा बण कै तिरया, प्रथम जागृत का ज्ञान फेर

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फूलसिंह-नौटंकी (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा फूलसिंह-नौटंकी स्यालकोट में राजा गजेसिंह राज्य करते थे। उनके दो पुत्र थे। बड़े का नाम भूपसिंह और छोटे का फूल सिंह बड़े लड़के भूपसिंह की शादी कर दी जाती है और राजतिलक भी हो गया और छोटा लड़का उस समय पढ़ रहा था। राजा गजेसिंह राज-पाट छोड़कर बन में तपस्या के लिए चले गये। छोटा लड़का पढ़ लिखकर जवान हो जाता है। उसी शहर में कुन्दन नाम का सेठ जो फूलसिंह का साथी था। पढ़लिख कर हीरे मोतियों का

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पूर्णमल (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा पूर्णमल स्यालकोट में राजा सलेभान राज करते थे। राजा ने शादी होने के बाद भी कोई सन्तान पैदा नहीं हुई। राजा के बाग तथा कुएं सूख गये। भगवान की कृपा से उनके बाग में गुरू गोरखनाथ आये। जिनके पदार्पण से कुएं में पानी तथा बाग में फूल व हरियाली लौट आई। माली फूलों की डालियां लेकर राजा के यहां पेश हुआ, और कहा कि महाराज आपके बाग में ऐसा तपस्वी आया हुआ है जिसके आने से कुएं के अन्दर

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पद्मावत (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा पद्मावत रत्नपुरी शहर में राजा जसवन्त सिंह राज करते थे। उनका एक लड़का था जिसका नाम रणबीर सैन था। उसी शहर में एक सेठ सूरजमल रहता था जिसके लड़के का नाम चन्द्रदत्त था। रणबीर और चन्द्रदत्त की आपस में गहरी मित्रता थी। एक दिन दोनों जंगल में शिकार खेलने के लिए जाते हैं। कैसे- दिन लिकड़या पीली पटी, चलने की सुरती रटी, ना डरते, फिरते, करते सैल बण की रै ।। टेक। तला नीर कै भर रहे, उपर कै

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जानी चोर (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा जानी चोर जानी चोर और नर सुलतान दोनों दोस्त अपनी मुंहबोली बहन मरवण के यह नरवर गढ़ में भात भरने के लिए जा रहे थे। दोनों उसमे नहाने लगे। नहाते-नहाते दोनों को एक तख्ती बहती हुयी मिली जिस पर लिखा था कि मुझे अदालिखां पठान ने कैद कर रखा है। मैं एक हिन्दू क्षत्राणी हूँ। अगर कोई हिन्दू वीर है तो मुझे उसकी कैद से छुड़ा कर ले जाये नहीं तो वह मुझे अपनी बेगम बना लेगा और निचे

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नल-दमयन्ती (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा नल-दमयन्ती यह राजा नल का चरित्र ब्रहदस ऋषि महाराजा युधिष्ठर को सुना रहे थे। युधिष्ठर ने कहा कि महाराज हमें नल-दमयन्ती का चरित्र खोलकर सुनाने का कष्ट करो। अब ऋषि जी सारी कथा सुनाते हैं- समझ ना सकते जगत के मन पै, अज्ञान रूपी मल होग्या, बेईमाने मैं मग्न रहैं सैं, गांठ-गांठ मैं छल होग्या ।। टेक ।। भाई धोरै माँ जाया भाई, चाहता बैठणा पास नहीं, मात—पिता गुरू शिष्य नै कहैं, मेरे चरण का दास नहीं, बीर और

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चीर-पर्व (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा चीर पर्व (महाभारत) दुर्योधन,शकुनी और दुशाशन मिल कर पांडवों को जुए में हराने की योजना बनाते हैं- आपस के बैर विवाद से कोये नफा किसी को है ना ।। टेक। पुत्र पिता का बैर था भाई, राम नाम से हुई थी लड़ाई, नरसिंह बण कै ज्यान खपाई, हिरण्याकश्यप घटे प्रहलाद से, पड़ा नाम हरि का लेना ।।1। सिन्थ उपसिन्थ मां जाये बीर थे, त्रिया कारण हुये आखिर थे, कुरू वंश में शुभ कर्म सीर थे , जिनका मेल कई

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