किस्से

किस्सा नल-दमयन्ती यह राजा नल का चरित्र ब्रहदस ऋषि महाराजा युधिष्ठर को सुना रहे थे। युधिष्ठर ने कहा कि महाराज हमें नल-दमयन्ती का चरित्र खोलकर सुनाने का कष्ट करो। अब ऋषि जी सारी कथा सुनाते हैं- समझ ना सकते जगत के मन पै,अज्ञान रूपी मल होग्या,बेईमाने मैं मग्न रहैं सैं,गांठ-गांठ मैं छल होग्या।।टेक।। भाई धोरै माँ जाया भाई,चाहता बैठणा पास नहीं,मात—पिता गुरू शिष्य नै कहैं,मेरे चरण का दास नहीं,बीर और मर्द कमाकै ल्यादें,पेट भरण की आस नहीं,मित्र बणकै दगा कमाज्यां,नौकर […]

नल दमयंती-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...