किस्से

किस्सा भूप पुरंजन यह साधारण सांग या कहानी नहीं हैं। श्रीमद्भागवत में पुरंजनों के बारे में व्याख्यान पर आधारित ये सांग विषय की जटिलता और पौराणिक संदर्भों की वजह से आम लोगों को समझ नहीं आ सका अतः इस सांग को छोड़ना पड़ा। रागनी-1 पूर्व देश तै तपस्वी पुरंजन आया,शुभ कर्म करण नै मिली मनुष की काया।।टेक।। तब हुक्म मिल्या जा पच्छम देश मैं फिरया,नौ निधि बहैं विधि पारा बण कै तिरया,प्रथम जागृत का ज्ञान फेर शिशुपति तुऱया,फिर अतीत बनकर […]

भूप पुरंजन-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

किस्से

किस्सा पद्मावत रत्नपुरी शहर में राजा जसवन्त सिंह राज करते थे। उनका एक लड़का था जिसका नाम रणबीर सैन था। उसी शहर में एक सेठ सूरजमल रहता था जिसके लड़के का नाम चन्द्रदत्त था। रणबीर और चन्द्रदत्त की आपस में गहरी मित्रता थी। एक दिन दोनों जंगल में शिकार खेलने के लिए जाते हैं। कैसे- दिन लिकड़या पीली पटी, चलने की सुरती रटी,ना डरते, फिरते, करते सैल बण की रै।।टेक।। तला नीर कै भर रहे,उपर कै भौरे फिर रहे,बड़ा शोर

पद्मावत-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

किस्से

किस्सा धर्मकौर-रघुबीर एक समय की बात है गांव धनोरा उत्तर प्रदेश में एक संपन्न गुर्जर परिवार था। चौधरी हरी सिंह परिवार का मुखिया था। हजारों बीघे जमीन थी और कई गांवों का जागीरदार था। उसकी दो शादीयां हुई थीं। चौधरी के बुढ़ापे में एक लड़का हुआ जिसका नाम रघबीर था। जब रघबीर 5 साल का हुआ उसकी माता की मृत्यु बिमारी के कारण हो गई। पत्नी के वियोग में चौधरी की भी मृत्यु हो गई। अब मौसी और 5 साल

धर्मकौर रघुबीर-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

किस्से

किस्सा नल-दमयन्ती यह राजा नल का चरित्र ब्रहदस ऋषि महाराजा युधिष्ठर को सुना रहे थे। युधिष्ठर ने कहा कि महाराज हमें नल-दमयन्ती का चरित्र खोलकर सुनाने का कष्ट करो। अब ऋषि जी सारी कथा सुनाते हैं- समझ ना सकते जगत के मन पै,अज्ञान रूपी मल होग्या,बेईमाने मैं मग्न रहैं सैं,गांठ-गांठ मैं छल होग्या।।टेक।। भाई धोरै माँ जाया भाई,चाहता बैठणा पास नहीं,मात—पिता गुरू शिष्य नै कहैं,मेरे चरण का दास नहीं,बीर और मर्द कमाकै ल्यादें,पेट भरण की आस नहीं,मित्र बणकै दगा कमाज्यां,नौकर

नल दमयंती-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

किस्से

किस्सा जानी चोर जानी चोर और नर सुलतान दोनों दोस्त अपनी मुंहबोली बहन मरवण के यह नरवर गढ़ में भात भरने के लिए जा रहे थे। दोनों उसमे नहाने लगे। नहाते-नहाते दोनों को एक तख्ती बहती हुयी मिली जिस पर लिखा था कि मुझे अदालिखां पठान ने कैद कर रखा है। मैं एक हिन्दू क्षत्राणी हूँ। अगर कोई हिन्दू वीर है तो मुझे उसकी कैद से छुड़ा कर ले जाये नहीं तो वह मुझे अपनी बेगम बना लेगा और निचे

जानी चोर-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

किस्से

किस्सा चीर पर्व (महाभारत) दुर्योधन,शकुनी और दुशाशन मिल कर पांडवों को जुए में हराने की योजना बनाते हैं- आपस के बैर विवाद से कोये नफा किसी को है ना।।टेक।। पुत्र पिता का बैर था भाई,राम नाम से हुई थी लड़ाई,नरसिंह बण कै ज्यान खपाई,हिरण्याकश्यप घटे प्रहलाद से,पड़ा नाम हरि का लेना।। सिन्थ उपसिन्थ मां जाये बीर थे,त्रिया कारण हुये आखिर थे,कुरू वंश में शुभ कर्म सीर थे,जिनका मेल कई बुनियाद से,पड़ा रवि शशि ज्यूं गहना।। चकुवे बैन हुए बलकारी,जिसनै जा

चीर पर्व (महाभारत)-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

किस्से

किस्सा चापसिंह मारवाड के गढ नौ महले में राजपूत जसवंत सिंह हुए, जो शाहजहां बादशाह के दरबार में सेनापति के पद पर कार्य कर रहे थे, उनके लड़के का नाम चापसिंह था। चापसिंह का रिश्ता श्रीनगर की राजकुमारी सोमवती के साथ हुआ। जब चापसिंह का विवाह हुआ तो उसी समय राजपूत जसवंतसिंह व उनकी पत्नी दोनों स्वर्ग सिधार गए। चापसिंह अपने पिता की जगह शाहजहां बादशाह के दरबार में कार्य करने लग गऐ। एक दिन चापसिंह के पास सोमवती के

चाप सिंह-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

प्रसिद्ध व्यक्ति

पं. नन्दलाल पाथरआली पं. नन्दलाल का जन्म गाँव पाथरआली, जिला भिवानी मे 29 अक्टूबर 1913 को हुआ था। इनके पिता जी केशवराम भी अपने समय मे उच्चकोटि के लोककवि व लोकगायक थे। नन्दलाल जी 5 भाई व 6 बहनों मे 10 वे नम्बर के थे। पांचो भाईयो मे भगवाना राम जो कि जवान अवस्था मे स्वर्ग सिधार गए थे। दुसरे नम्बर पर कुंदनलाल, तीसरे नम्बर पर बनवारी लाल, चौथे नम्बर पर नन्दलाल तथा पांचवे नंबर बेगराज थे। इनको बचपन से

पं. नंदलाल पाथरआली और पढ़णा सै...

प्रसिद्ध व्यक्ति

पं. जगन्नाथ समचाना पं जगन्नाथ का जन्म 24 जुलाई, सन् 1939 को गांव समचाना, जिला रोहतक हरियाणा में हुआ। यह तीजों के त्योहार का दिन था। जिस समय तीज मनाई जा रही थी, औरतें पींघ झूल रही थी और गीत गा रही थी। एक तरह से जब उन्होने इस धरा पर अपने नन्हे कदम रखे तो प्रकृति का पूरा वातावरण संगीतमय था। अतः यही कारण है कि उनका संगीत से लगाव बचपन से ही रहा। पं जगन्नाथ की प्रथम शिक्षा

पं. जगन्नाथ समचाना और पढ़णा सै...

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