किस्सा भूप पुरंजन यह साधारण सांग या कहानी नहीं हैं। श्रीमद्भागवत में पुरंजनों के बारे में व्याख्यान पर आधारित ये सांग विषय की जटिलता और पौराणिक संदर्भों की वजह से आम लोगों को समझ नहीं आ सका अतः इस सांग को छोड़ना पड़ा। रागनी-1 पूर्व देश तै तपस्वी पुरंजन आया,शुभ कर्म करण नै मिली मनुष की काया।।टेक।। तब हुक्म मिल्या जा पच्छम देश मैं फिरया,नौ निधि बहैं विधि पारा बण कै तिरया,प्रथम जागृत का ज्ञान फेर शिशुपति तुऱया,फिर अतीत बनकर […]
भूप पुरंजन-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...