किस्से

किस्सा राजा भोज-शरण दे एक समय की बात है कि उज्जैन शहर में राजा भोज राज्य करते थे। वे बड़े धर्मात्मा और प्रतापी राजा थे। उन्हें रात-दिन अपनी प्रजा के दुख सुख का ध्यान रहता था। अपनी प्रजा का हालचाल जानने के लिए वे खुद गश्त पर जाया करते और लोगों से उनके दुख दर्द पूछकर उनको दूर किया करते थे। एक रात वे अपने साथी मनवा भाण्ड के साथ गश्त पर गये तो उन्हें कुछ शोर-सा सुनाई दिया।उन्होंने मनवा […]

राजा हरिश्चंद्र-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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किस्सा राजा भोज-शरण दे एक समय की बात है कि उज्जैन शहर में राजा भोज राज्य करते थे। वे बड़े धर्मात्मा और प्रतापी राजा थे। उन्हें रात-दिन अपनी प्रजा के दुख सुख का ध्यान रहता था। अपनी प्रजा का हालचाल जानने के लिए वे खुद गश्त पर जाया करते और लोगों से उनके दुख दर्द पूछकर उनको दूर किया करते थे। एक रात वे अपने साथी मनवा भाण्ड के साथ गश्त पर गये तो उन्हें कुछ शोर-सा सुनाई दिया।उन्होंने मनवा

राजा भोज शरण दे-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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किस्सा मीरा बाई जोधपुर रियासत में राजा मिड़त हुए हैं। उनकी एक लड़की मीरा थी। बचपन से ही उसका भक्ति में रुख था। छोटी उम्र में ही एक शादी की बारात देखकर अपनी मां से पूछती है कि मेरे पति कौन हैं। मां ने बताया कि तेरे पति कृष्ण हैं। बस क्या था, कृष्ण को दूध पिलाना कीर्तन करना, सेवा में लगे रहना, मीरा का काम हो गया। फलस्वरुप सांसारिक पदार्थों से मोह भंग हो गया। कवि ने वर्णन किया

मीरा बाई-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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किस्सा भूप पुरंजन यह साधारण सांग या कहानी नहीं हैं। श्रीमद्भागवत में पुरंजनों के बारे में व्याख्यान पर आधारित ये सांग विषय की जटिलता और पौराणिक संदर्भों की वजह से आम लोगों को समझ नहीं आ सका अतः इस सांग को छोड़ना पड़ा। रागनी-1 पूर्व देश तै तपस्वी पुरंजन आया,शुभ कर्म करण नै मिली मनुष की काया।।टेक।। तब हुक्म मिल्या जा पच्छम देश मैं फिरया,नौ निधि बहैं विधि पारा बण कै तिरया,प्रथम जागृत का ज्ञान फेर शिशुपति तुऱया,फिर अतीत बनकर

भूप पुरंजन-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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किस्सा पद्मावत रत्नपुरी शहर में राजा जसवन्त सिंह राज करते थे। उनका एक लड़का था जिसका नाम रणबीर सैन था। उसी शहर में एक सेठ सूरजमल रहता था जिसके लड़के का नाम चन्द्रदत्त था। रणबीर और चन्द्रदत्त की आपस में गहरी मित्रता थी। एक दिन दोनों जंगल में शिकार खेलने के लिए जाते हैं। कैसे- दिन लिकड़या पीली पटी, चलने की सुरती रटी,ना डरते, फिरते, करते सैल बण की रै।।टेक।। तला नीर कै भर रहे,उपर कै भौरे फिर रहे,बड़ा शोर

पद्मावत-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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किस्सा धर्मकौर-रघुबीर एक समय की बात है गांव धनोरा उत्तर प्रदेश में एक संपन्न गुर्जर परिवार था। चौधरी हरी सिंह परिवार का मुखिया था। हजारों बीघे जमीन थी और कई गांवों का जागीरदार था। उसकी दो शादीयां हुई थीं। चौधरी के बुढ़ापे में एक लड़का हुआ जिसका नाम रघबीर था। जब रघबीर 5 साल का हुआ उसकी माता की मृत्यु बिमारी के कारण हो गई। पत्नी के वियोग में चौधरी की भी मृत्यु हो गई। अब मौसी और 5 साल

धर्मकौर रघुबीर-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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किस्सा नल-दमयन्ती यह राजा नल का चरित्र ब्रहदस ऋषि महाराजा युधिष्ठर को सुना रहे थे। युधिष्ठर ने कहा कि महाराज हमें नल-दमयन्ती का चरित्र खोलकर सुनाने का कष्ट करो। अब ऋषि जी सारी कथा सुनाते हैं- समझ ना सकते जगत के मन पै,अज्ञान रूपी मल होग्या,बेईमाने मैं मग्न रहैं सैं,गांठ-गांठ मैं छल होग्या।।टेक।। भाई धोरै माँ जाया भाई,चाहता बैठणा पास नहीं,मात—पिता गुरू शिष्य नै कहैं,मेरे चरण का दास नहीं,बीर और मर्द कमाकै ल्यादें,पेट भरण की आस नहीं,मित्र बणकै दगा कमाज्यां,नौकर

नल दमयंती-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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किस्सा जानी चोर जानी चोर और नर सुलतान दोनों दोस्त अपनी मुंहबोली बहन मरवण के यह नरवर गढ़ में भात भरने के लिए जा रहे थे। दोनों उसमे नहाने लगे। नहाते-नहाते दोनों को एक तख्ती बहती हुयी मिली जिस पर लिखा था कि मुझे अदालिखां पठान ने कैद कर रखा है। मैं एक हिन्दू क्षत्राणी हूँ। अगर कोई हिन्दू वीर है तो मुझे उसकी कैद से छुड़ा कर ले जाये नहीं तो वह मुझे अपनी बेगम बना लेगा और निचे

जानी चोर-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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