किस्से

किस्सा चीर पर्व (महाभारत) दुर्योधन,शकुनी और दुशाशन मिल कर पांडवों को जुए में हराने की योजना बनाते हैं- आपस के बैर विवाद से कोये नफा किसी को है ना।।टेक।। पुत्र पिता का बैर था भाई,राम नाम से हुई थी लड़ाई,नरसिंह बण कै ज्यान खपाई,हिरण्याकश्यप घटे प्रहलाद से,पड़ा नाम हरि का लेना।। सिन्थ उपसिन्थ मां जाये बीर थे,त्रिया कारण हुये आखिर थे,कुरू वंश में शुभ कर्म सीर थे,जिनका मेल कई बुनियाद से,पड़ा रवि शशि ज्यूं गहना।। चकुवे बैन हुए बलकारी,जिसनै जा […]

चीर पर्व (महाभारत)-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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किस्सा चापसिंह मारवाड के गढ नौ महले में राजपूत जसवंत सिंह हुए, जो शाहजहां बादशाह के दरबार में सेनापति के पद पर कार्य कर रहे थे, उनके लड़के का नाम चापसिंह था। चापसिंह का रिश्ता श्रीनगर की राजकुमारी सोमवती के साथ हुआ। जब चापसिंह का विवाह हुआ तो उसी समय राजपूत जसवंतसिंह व उनकी पत्नी दोनों स्वर्ग सिधार गए। चापसिंह अपने पिता की जगह शाहजहां बादशाह के दरबार में कार्य करने लग गऐ। एक दिन चापसिंह के पास सोमवती के

चाप सिंह-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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किस्सा चन्द्रगुप्त-धर्ममालकी चन्द्रगुप्त को मनसा सेठ के यह रहते-सहते 12 साल हो गये थे और अब वह 18 साल का हो जाता है। एक दिन की बात है मनसा सेठ ने चन्द्रगुप्त को अपने पास बुलाया और कहा बेटा तुम्हे तो पता हमारा रूई का व्यापार है। अब समय आ गया तुम अपनी जिम्मेवारी संभालो। इस बार तुम रूई का जहाज लेकर सिंगल द्वीप मे जाओ। यह सुन कर चन्द्रगुप्त मनसा सेठ को क्या कहता है- के सै मेरै गोचरी

चन्द्रगुप्त धर्ममालकी-पं. लख्मी चंद और पढ़णा सै...

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किस्सा चंदकिरण एक समय की बात है कि मदनपुर शहर में राजा मदन सेन राज करते थे। उनकी धर्मपत्नी का नाम नागदे था। महाराज अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए वेश बदलकर शहर में घूमा करते थे। एक दिन दुकान पर राजा ने एक बहुत ही सुंदर स्त्री का फोटो देखा। इतनी सुंदर स्त्री राजा ने कभी नहीं देखी थी। परिणाम स्वरूप राजा उसके ऊपर मोहित हो गया और दुकानदार जो की एक बुढिया थी उससे क्या पूछता है-

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किस्सा कीचक वध (महाभारत) कौरवों से जुए में हारने के बाद शर्त के अनुसार पांडवों को 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास बिताना था। अगर कौरव अज्ञातवास के दौरान उन्हें दूंढ लेते हैं तो पांडवों को पुनः 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास बिताना होगा। वनवास के 12 साल ख़त्म होने को आये तो युधिष्ठिर को चिंता होने लगी क्योंकि भीम और अर्जुन जैसे योद्धाओं का छुप कर रहना असंभव था। काफी सोच-विचार करने

कीचक वध (महाभारत)​-पं. लख्मीचंद और पढ़णा सै...

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