चंद्रगुप्त-धर्ममालकी (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा चन्द्रगुप्त-धर्ममालकी चन्द्रगुप्त को मनसा सेठ के यह रहते-सहते 12 साल हो गये थे और अब वह 18 साल का हो जाता है। एक दिन की बात है मनसा सेठ ने चन्द्रगुप्त को अपने पास बुलाया और कहा बेटा तुम्हे तो पता हमारा रूई का व्यापार है। अब समय आ गया तुम अपनी जिम्मेवारी संभालो। इस बार तुम रूई का जहाज लेकर सिंगल द्वीप मे जाओ। यह सुन कर चन्द्रगुप्त मनसा सेठ को क्या कहता है- के सै मेरै गोचरी […]

चंद्रगुप्त-धर्ममालकी (पं. लख्मीचन्द) ...और पढणा सै