नल-दमयन्ती (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा नल-दमयन्ती यह राजा नल का चरित्र ब्रहदस ऋषि महाराजा युधिष्ठर को सुना रहे थे। युधिष्ठर ने कहा कि महाराज हमें नल-दमयन्ती का चरित्र खोलकर सुनाने का कष्ट करो। अब ऋषि जी सारी कथा सुनाते हैं- समझ ना सकते जगत के मन पै, अज्ञान रूपी मल होग्या, बेईमाने मैं मग्न रहैं सैं, गांठ-गांठ मैं छल होग्या ।। टेक ।। भाई धोरै माँ जाया भाई, चाहता बैठणा पास नहीं, मात—पिता गुरू शिष्य नै कहैं, मेरे चरण का दास नहीं, बीर और […]

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