सेठ ताराचंद (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा सेठ ताराचंद हरिराम अपने छोटे भाई ताराचंद के यश को सहन नही कर सका। उसने मन में सोचा जब तक दिल्ली में ताराचंद का नाम है, उसे कोई नही पहचानेगा। हरीराम ने पक्का निश्चय कर लिया ताराचन्द का नाम ख़त्म करूँगा करूगा। अब हरिराम अपनी पत्नी के पास आता है और मन की सारी बात बताई। अब हरिराम की पत्नी एक बात के द्वारा क्या पति हरिराम को क्या कहती है- कहै पत्नी उठ बैठ पति, नहा-धोकै अस्नान करो […]

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