पूर्णमल-सुंदरा दे (फौजी मेहर सिंह)
किस्सा पूर्णमल-सुंदरा दे एक बार गुरु गोरख नाथ चलते चलते चीन की सीमाओं पर पहुच जाते हैं। तथा वहा अपना डेरा लगा देते हैं। वहा कि राजकुमारी सुन्द्रादे थी जो साधु को भिक्षा प्रदान करके उनका कत्ल कर देती थी। स्यालकोट मै सुलेभान का था मैं राजदुलारा मेरी माता इच्छरादे की आंख का तारा जन्म होया तब ज्योतषी नै मेरे बारे फरमाया बारह साल दूर राखो जब कटै संकट की छाया इतणा सुण मेरे पिता नै मैं भौरे मै रखाया […]
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