फुटकर रागनियाँ (फौजी मेहर सिंह)

किस्सों की फुटकर रागनियाँ किस्सा-राजा नल बणां मै चाल पड़े थे, दुखिया राजा नल रै।। सदाव्रत चलाणे आले आज खुद भूखे मर रहे राजा रानी दोनों गाम के गोरे कै फिर रहे दोनों बालक म्हारे तै न्यारे रानी दुख भर रहे हम एक-एक वस्त्र मै गात ढक गुजारा कर रहे आग्गै बेरा ना के होगा न्यू कह कै वे डर रहे जो दुख में धीर धरगे पार सदा वे नर रहे खाणे की तो बात दूर रानी को देता कोन्या […]

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