satyvaan-sawitri

सत्यवान-सावित्री (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा सत्यवान-सावित्री जब पाण्डवों को कौरवों ने वनवास दिया तो पांचों पाण्डव तथा उनके साथ द्रोपदी मारकण्डे ऋषि के आश्रम पर पहुंच जाते हैं। मारकण्डे ऋषि ने उनका बडा सम्मान किया तथा पांड्वो ने फिर कुछ दिन वहीं पर निवास किया। एक दिन मारकण्डे ऋषि और धर्मपुत्र युधिष्ठर बैठे आपस में बात कर रहे थे। धर्मपुत्र ने अपनी विपता के विषय में कहा कि हम तो जंगल का दुख-सुख सहन कर सकते हैं, परन्तु हमारे साथ द्रोपदी भी है, यह […]

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सत्यवान-सावित् (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा सत्यवान-सावित्री राजा अश्वपति के घर कोई संतान नहीं थी। राजा देवी की खूब पूजा करता है। एक दिन देवी उसके सामने प्रकट हो जाती है ओर कहती की राजन मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं मांगो क्या मांगते हो। इस पर राजा अश्वपति देवी के सामने संतान की इच्छा प्रकट करते है। तो देवी खुश होकर वरदान के रूप में एक कन्या (सावित्री ) उनको दे देती है। जब वह कन्या जवान हों जाती है तो राजा को उसकी

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