मेहरसिंह की रागनी

जगदेव-बीरमति (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा जगदेव-बीरमति एक समय की बात है की मालवा देश में राजा उदयदत राज किया करते थे जिनकी राजधानी धारा नगरी थी। उनकी दो रानियाँ थी, बड़ी राणी सोलंकनी से जगदेव तथा छोटी राणी वाघेलनी से रणधूल का जन्म हुआ। जगदेव का विवाह पडोसी राज्य टोंकाटोंक (टोड) नरेश टोडरमल की राजकुमारी बीरमती से हो चुका था परन्तु अभी तक गौणा संपन्न नहीं हुआ था। सारे राज्य में खुशहाली थी। राजा जगदेव को अपना उतराधिकारी घोषित करना चाहते थे परन्तु छोटी […]

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चापसिंह-सोमवती (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा चापसिंह-सोमवती दिल्ली में मुगल बादशाह शाहजहां राज किया करते थे। उनके भूतपूर्व दरबारी ठाकुर अंगध्वज का लड़का चाप सिंह मुगल सेना में सिपहसालार के पद पर भर्ती हो गया। समय गुजरता गया कुछ ही अर्सा में राजपूत चाप सिंह अपनी कर्त्तव्यपरायणता तथा शूरवीरता के कारण मुगल दरबार में चर्चित हो गया। दूसरा सिपहसालार शेरखान जो बादशाह शाहजहां का साला था अन्दर ही अन्दर चाप सिंह से जलने लगा। वह किसी ऐसे मौके की तलाश में रहता था जब चाप

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सत्यवान-सावित् (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा सत्यवान-सावित्री राजा अश्वपति के घर कोई संतान नहीं थी। राजा देवी की खूब पूजा करता है। एक दिन देवी उसके सामने प्रकट हो जाती है ओर कहती की राजन मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं मांगो क्या मांगते हो। इस पर राजा अश्वपति देवी के सामने संतान की इच्छा प्रकट करते है। तो देवी खुश होकर वरदान के रूप में एक कन्या (सावित्री ) उनको दे देती है। जब वह कन्या जवान हों जाती है तो राजा को उसकी

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सरवर-नीर (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा सरवर-नीर अमृतसर में राजा अम्ब राज किया करते थे। उनकी रानी का नाम अम्बली तथा दो पुत्रों के नाम सरवर और नीर थे। राजा अत्यन्त सत्यवादी और धर्मात्मा पुरुष थे। उनकी परीक्षा लेने के लिए एक दिन स्वयं भगवान साधु का वेश धारण कर राजा अम्ब के दरबार में अलख जगाते हैं- राजा के दरबार मैं भूखा खड़या सै फकीर भिक्षा घाल दे मेरै। टेक दुःख की घड़ी बीत रही आज मेरे दुख का करो ईलाज मोहताज फिरुं सूं

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