फौजी मेहर सिंह की रागनी

मुक्तक व भजन (फौजी मेहर सिंह)

भजन व मुक्तक (1) रै मन डटज्या क्यूं ना, जै हो को डाटण आला रै।। पांच साल बच्चेपण मै , खूब खेलो खूब खाओ, अक्षरों का ज्ञान सीखण, विद्यालय मै पढ़ने जाओ, ब्रह्मचारी रह पढाई पढ़ो, उत्तम सत्संग पाओ, पच्चीस साल पढ़णे से, सारा ठीक हिसाब होज्या, ऊधर्वगामी वीर्य होकै, चहरे ऊपर आब होज्या, मानज्या रै मन मूर्ख ,कदे बीच मै खराब होज्या, मन वश जै नहीं रहै तै,पडज्या कुबध करण का ढाला।। अष्टयोग अभ्यास करकै ,तुरीय पद का धरणा […]

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फुटकर रागनियाँ (फौजी मेहर सिंह)

किस्सों की फुटकर रागनियाँ किस्सा-राजा नल बणां मै चाल पड़े थे, दुखिया राजा नल रै।। सदाव्रत चलाणे आले आज खुद भूखे मर रहे राजा रानी दोनों गाम के गोरे कै फिर रहे दोनों बालक म्हारे तै न्यारे रानी दुख भर रहे हम एक-एक वस्त्र मै गात ढक गुजारा कर रहे आग्गै बेरा ना के होगा न्यू कह कै वे डर रहे जो दुख में धीर धरगे पार सदा वे नर रहे खाणे की तो बात दूर रानी को देता कोन्या

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सुभाषचंद्र बोस (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा नेता जी सुभाषचंद्र बोस नेता जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के शहर कटक में हुआ था जो उस समय बंगाल प्रान्त का हिस्सा था। माता नाम प्रभावती था व उनके पिता का नाम जानकीनाथ कटक के मशहूर वकील थे। भारत अंग्रेजो का गुलाम था तो भारतमाता भगवान से खुद को आज़ाद करवाने के लिए कहती है। तो भगवान कहते है की जब तक भारत के लोग अपनी गलतियों को सुधारेंगे नहीं और एक नहीं होंगे तब

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पूर्णमल-सुंदरा दे (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा पूर्णमल-सुंदरा दे एक बार गुरु गोरख नाथ चलते चलते चीन की सीमाओं पर पहुच जाते हैं। तथा वहा अपना डेरा लगा देते हैं। वहा कि राजकुमारी सुन्द्रादे थी जो साधु को भिक्षा प्रदान करके उनका कत्ल कर देती थी। स्यालकोट मै सुलेभान का था मैं राजदुलारा मेरी माता इच्छरादे की आंख का तारा जन्म होया तब ज्योतषी नै मेरे बारे फरमाया बारह साल दूर राखो जब कटै संकट की छाया इतणा सुण मेरे पिता नै मैं भौरे मै रखाया

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वीर हकीकत राय (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा वीर हकीकत राय बात उस समय की है जब भारत पर मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वितीय राज किया करते थे। उस समय पंजाब के स्यालकोट में सेठ भागमल अपनी पत्नी कौरां व इकलौते बेटे हकीकत के साथ रहते थे। हकीकत की शादी बचपन में ही लक्ष्मी नाम की लड़की के साथ कर दी थी। हकीकत मदरसे मे पढने के लिये भेजा जाता है। हकीकत बड़ा होनहार था। काजी साहब मुंशी जी जो भी सबक पढाते वो तुरंत ही याद कर

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रूप-बसंत (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा रूप-बसंत खडगपुरी में राजा खडग सेन राज किया करते। उनकी रानी रूपमती थी और उनके दो लड़के थे बड़ा रूप और छोटा बसंत। कुछ समय बाद रानी बीमार हो जाती है। एक दिन चारपाई पर लेटे हुए रानी की नजर छत की तरफ पड़ती है , जहाँ एक चिड़िया का घोंसला बना हुआ था। उस चिड़िया और चिडे के भी दो बच्चे थे। चिड़िया किसी कारण वश मर जाती है। रानी हर रोज उसी घोंसले की तरफ देखती रहती

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पद्मावत (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा पद्मावत एक समय की बात है कि रत्नपुरी नगर में राजा जसवंत सिंह राज करते थे। राजा का एक ही पुत्र था जिसका नाम रणबीर सैन था। उसी नगर में सूरजमल नाम का एक सेठ भी रहता था जिसका लड़का था चन्द्र दत्त। रणबीर सैन और चन्द्रदत्त दोनों जिगरी दोस्त थे। एक दिन दोनों जंगल में शिकार खेलने चल पड़ते हैं। वे दानों अलग-अलग मृगों का पीछा करते हुए दोनों साथी वन में बिछड़ जाते हैं। राजकुमार एक सुन्दर

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राजा हरिश्चन्द्र (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा राजा हरिश्चन्द्र एक समय की बात है कि अवधपुरी में त्रिशंकू के पुत्र राजा हरिश्चन्द्र राज करते थे। उनकी रानी का नाम मदनावत था तथा उनके पुत्र का नाम रोहताश था। राजा बड़े सत्यवादी और धर्मात्मा थे एक दिन स्वर्ग में इन्द्र की सभा में सभी देवता उनके गुणों की प्रशंसा कर रहे थे जिसे सुन कर विश्वामित्र ने कहा कि मैं उनकी परीक्षा लूंगा कि राजा हरिश्चन्द्र कितने बड़े सत्यवादी और दानी हैं। विश्वामित्र ने ब्राहमण का वेश

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काला चाँद (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा काला चाँद एक समय बंगाल रियासत में सुलेमान कर्रानी शासन करता था। उसके राज्य में नयन चंद नाम का एक जमींदार रहता था। शादी के काफी समय बाद उसके घर एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम कालीचरण रखा गया। उस समय का वर्णन- बंगाल देश के शाही जिले मै, बीजनौर एक नाम्मी गाम। जमींदार नयन चंद राय का ,गाम मै था खासा काम।। किसे बात का नहीं था धड़का, बिन संतान लाग रहया अड़का, घर जमींदार कै होया एक

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अजीत सिंह-राजबाला (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा अजीत सिंह-राजबाला एक समय की बात है की अमरकोट में राजा अनार सिंह राज किया करते थे। उनकी रानी का नाम विजयवंती था और इनके लडके का नाम अजीत सिंह था। सभी खुशहाल थे। बेसलपुर के राजा ने अपनी लड़की राजबाला की सगाई अजीत सिंह से कर दी थी। राजा अनार सिंह अपने पड़ोसी धारा नगरी के राजा राम सिंह पर उसका खजाना लूटने के लिए आक्रमण कर देता है और मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। रानी विजयवंती

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