लिखित में रागनी

चाप सिंह (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा चाप सिंह मारवाड के गढ नौ महले में राजपूत जसवंत सिंह हुए, जो शाहजहां बादशाह के दरबार में सेनापति के पद पर कार्य कर रहे थे, उनके लड़के का नाम चापसिंह था। चापसिंह का रिश्ता श्रीनगर की राजकुमारी सोमवती के साथ हुआ। जब चापसिंह का विवाह हुआ तो उसी समय राजपूत जसवंतसिंह व उनकी पत्नी दोनों स्वर्ग सिधार गए। चापसिंह अपने पिता की जगह शाहजहां बादशाह के दरबार में कार्य करने लग गऐ। एक दिन चापसिंह के पास सोमवती […]

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चंद्रगुप्त-धर्ममालकी (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा चन्द्रगुप्त-धर्ममालकी चन्द्रगुप्त को मनसा सेठ के यह रहते-सहते 12 साल हो गये थे और अब वह 18 साल का हो जाता है। एक दिन की बात है मनसा सेठ ने चन्द्रगुप्त को अपने पास बुलाया और कहा बेटा तुम्हे तो पता हमारा रूई का व्यापार है। अब समय आ गया तुम अपनी जिम्मेवारी संभालो। इस बार तुम रूई का जहाज लेकर सिंगल द्वीप मे जाओ। यह सुन कर चन्द्रगुप्त मनसा सेठ को क्या कहता है- के सै मेरै गोचरी

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कीचक वध (महाभारत) (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा कीचक वध (महाभारत) कौरवों से जुए में हारने के बाद शर्त के अनुसार पांडवों को 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास बिताना था। अगर कौरव अज्ञातवास के दौरान उन्हें दूंढ लेते हैं तो पांडवों को पुनः 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास बिताना होगा। वनवास के 12 साल ख़त्म होने को आये तो युधिष्ठिर को चिंता होने लगी क्योंकि भीम और अर्जुन जैसे योद्धाओं का छुप कर रहना असंभव था। काफी सोच-विचार करने

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चंदकिरण (पं. लख्मीचन्द)

किस्सा चंदकिरण एक समय की बात है कि मदनपुर शहर में राजा मदन सेन राज करते थे। उनकी धर्मपत्नी का नाम नागदे था। महाराज अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए वेश बदलकर शहर में घूमा करते थे। एक दिन दुकान पर राजा ने एक बहुत ही सुंदर स्त्री का फोटो देखा। इतनी सुंदर स्त्री राजा ने कभी नहीं देखी थी। परिणाम स्वरूप राजा उसके ऊपर मोहित हो गया और दुकानदार जो की एक बुढिया थी उससे क्या पूछता है-

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मुक्तक व भजन (फौजी मेहर सिंह)

भजन व मुक्तक (1) रै मन डटज्या क्यूं ना, जै हो को डाटण आला रै।। पांच साल बच्चेपण मै , खूब खेलो खूब खाओ, अक्षरों का ज्ञान सीखण, विद्यालय मै पढ़ने जाओ, ब्रह्मचारी रह पढाई पढ़ो, उत्तम सत्संग पाओ, पच्चीस साल पढ़णे से, सारा ठीक हिसाब होज्या, ऊधर्वगामी वीर्य होकै, चहरे ऊपर आब होज्या, मानज्या रै मन मूर्ख ,कदे बीच मै खराब होज्या, मन वश जै नहीं रहै तै,पडज्या कुबध करण का ढाला।। अष्टयोग अभ्यास करकै ,तुरीय पद का धरणा

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फुटकर रागनियाँ (फौजी मेहर सिंह)

किस्सों की फुटकर रागनियाँ किस्सा-राजा नल बणां मै चाल पड़े थे, दुखिया राजा नल रै।। सदाव्रत चलाणे आले आज खुद भूखे मर रहे राजा रानी दोनों गाम के गोरे कै फिर रहे दोनों बालक म्हारे तै न्यारे रानी दुख भर रहे हम एक-एक वस्त्र मै गात ढक गुजारा कर रहे आग्गै बेरा ना के होगा न्यू कह कै वे डर रहे जो दुख में धीर धरगे पार सदा वे नर रहे खाणे की तो बात दूर रानी को देता कोन्या

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सुभाषचंद्र बोस (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा नेता जी सुभाषचंद्र बोस नेता जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के शहर कटक में हुआ था जो उस समय बंगाल प्रान्त का हिस्सा था। माता नाम प्रभावती था व उनके पिता का नाम जानकीनाथ कटक के मशहूर वकील थे। भारत अंग्रेजो का गुलाम था तो भारतमाता भगवान से खुद को आज़ाद करवाने के लिए कहती है। तो भगवान कहते है की जब तक भारत के लोग अपनी गलतियों को सुधारेंगे नहीं और एक नहीं होंगे तब

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पूर्णमल-सुंदरा दे (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा पूर्णमल-सुंदरा दे एक बार गुरु गोरख नाथ चलते चलते चीन की सीमाओं पर पहुच जाते हैं। तथा वहा अपना डेरा लगा देते हैं। वहा कि राजकुमारी सुन्द्रादे थी जो साधु को भिक्षा प्रदान करके उनका कत्ल कर देती थी। स्यालकोट मै सुलेभान का था मैं राजदुलारा मेरी माता इच्छरादे की आंख का तारा जन्म होया तब ज्योतषी नै मेरे बारे फरमाया बारह साल दूर राखो जब कटै संकट की छाया इतणा सुण मेरे पिता नै मैं भौरे मै रखाया

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वीर हकीकत राय (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा वीर हकीकत राय बात उस समय की है जब भारत पर मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वितीय राज किया करते थे। उस समय पंजाब के स्यालकोट में सेठ भागमल अपनी पत्नी कौरां व इकलौते बेटे हकीकत के साथ रहते थे। हकीकत की शादी बचपन में ही लक्ष्मी नाम की लड़की के साथ कर दी थी। हकीकत मदरसे मे पढने के लिये भेजा जाता है। हकीकत बड़ा होनहार था। काजी साहब मुंशी जी जो भी सबक पढाते वो तुरंत ही याद कर

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रूप-बसंत (फौजी मेहर सिंह)

किस्सा रूप-बसंत खडगपुरी में राजा खडग सेन राज किया करते। उनकी रानी रूपमती थी और उनके दो लड़के थे बड़ा रूप और छोटा बसंत। कुछ समय बाद रानी बीमार हो जाती है। एक दिन चारपाई पर लेटे हुए रानी की नजर छत की तरफ पड़ती है , जहाँ एक चिड़िया का घोंसला बना हुआ था। उस चिड़िया और चिडे के भी दो बच्चे थे। चिड़िया किसी कारण वश मर जाती है। रानी हर रोज उसी घोंसले की तरफ देखती रहती

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